गुरू पूरा हो, झूठे गुरू से कोई लाभ नहीं होता।


 गुरू पूरा हो, झूठे गुरू से कोई लाभ नहीं होता।


 प्रश्न :- पूरे गुरू की क्या पहचान है? 

हम तो जिस भी सन्त से ज्ञान सुनते हैं, वह पूर्ण सतगुरू लगता है। 


उत्तर :- सूक्ष्मवेद में गुरु के लक्षण बताए हैं :

 गरीब, सतगुरू के लक्षण कहूँ, मधुरे बैन विनोद ।

 चार वेद छ: शास्त्र, कह अठारह बोध ।। 


सन्त गरीबदास जी (गाँव-छुड़ानी जिला-झज्जर, हरियाणा) को परमेश्वर कबीर जी मिले थे। उनकी आत्मा को ऊपर अपने सत्यलोक (सनातन परम धाम ) में लेकर गए थे। ऊपर के सर्व लोकों का अवलोकन कराकर वापिस पृथ्वी पर छोड़ा था। उनको सम्पूर्ण आध्यात्म ज्ञान बताया था। उनका ज्ञानयोग परमेश्वर कबीर जी ने खोला था। 


उसके आधार से सन्त गरीबदास जी ने गुरू की पहचान बताई है कि जो सच्चा गुरू अर्थात् सतगुरू होगा, वह ऐसा ज्ञान बताता है कि उसके वचन आत्मा को आनन्दित कर देते हैं, बहुत मधुर लगते हैं क्योंकि वे सत्य पर आधारित होते हैं। कारण है कि सतगुरू चार वेदों तथा सर्व शास्त्रों का ज्ञान विस्तार से कहता है । 

यही प्रमाण परमेश्वर कबीर जी ने सूक्ष्मवेद में "अगम-निगम वेद बोध' अध्याय कबीर सागर में कहा है" :-

 गुरू के लक्षण चार बखाना, प्रथम वेद शास्त्र को ज्ञाना।। दुजे हरि भक्ति मन कर्म बानि, तीजे समदृष्टि करि जानी।। चौथे वेद विधि सब कर्मा, ये चार गुरू गुण जानों मर्मा।।


 सरलार्थ :- कबीर परमेश्वर जी ने कहा है कि जो सच्चा गुरू होगा, उसके चार मुख्य लक्षण होते :-

1. सब वेद तथा शास्त्रों को वह ठीक से जानता है ।

 2. दूसरे वह स्वयं भी भक्ति मन-कर्म-वचन से करता है अर्थात् उसकी कथनी और करनी में कोई अन्तर नहीं होता। 

3. तीसरा लक्षण यह है कि वह सर्व अनुयाईयों से समान व्यवहार करता है, भेदभाव नहीं रखता। 

4. चौथा लक्षण यह है कि वह सर्व भक्ति कर्म वेदों (चार वेद तो सर्व जानते हैं 

1. ऋग्वेद, 2. यजुर्वेद, 3. सामवेद, 4. अथर्ववेद तथा पाँचवां वेद सूक्ष्मवेद है, इन सर्व वेदों) के अनुसार करता और कराता है ।

 वेदों (चारों वेदों ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद) में केवल ओम् ॐ यह एक नाम है जाप करने का। 

प्रमाण = यजुर्वेद अध्याय 40 मन्त्र 15 तथा 17 में 75 मन्त्र 15 में कहा है कि ओम् (ॐ) नाम का स्मरण कार्य करते-करते करो, विशेष तड़फ के साथ करो, मनुष्य जीवन का परम कर्त्तव्य मानकर स्मरण करो, ॐ का जाप मृत्यु पर्यन्त करने से इतना अमरत्व प्राप्त हो जाएगा जितना ॐ के स्मरण से होता है। 


और सतलोक की परिपूर्ण भक्ति और ज्ञान तो कोई परम संत ही देगा । गीता अध्याय 4/34....

#JagatGuru_SaintRampalJi

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