शरीर के चक्रो का वर्णन

जीव मानव शरीर के हृदय कमल में रहता है मानव शरीर में त्रिकुटि से पहले पाँच कमल बने हैं जो रीढ़ की हड्डी के साथ-साथ पेट की ओर बने हैं। 
इन कमलों में क्रमशः नीचे से :
 1. मूल कमल = इसमें गणेश जी का निवास है।
 2. स्वाद कमल = इसमें सावित्री तथा ब्रह्मा जी का निवास है। 
3. नाभि कमल = इसमें लक्ष्मी तथा विष्णु जी का निवास है। 
4. हृदय कमल = इसमें पार्वती तथा शिव जी का निवास है। 
5. कण्ठ कमल में दुर्गा जी का निवास है।सर्वप्रथम हमने इन कमलों के देवताओं से ऋण-मुक्त होना है। 

इनके नाम मन्त्रों की साधना अर्थात् मजदूरी करनी है जिससे ये देवता हमें आगे जाने देंगे। 
हृदय कमल से जीव नीचे मूल कमल में जाएगा, फिर वहाँ से स्वाद कमल में, 
फिर नाभि कमल में, फिर हृदय कमल में, फिर कण्ठ कमल में जाएगा। इसके पश्चात् त्रिकुटि कमल में जीव जाएगा। 
त्रिकुटि कमल पर तीन रास्ते हो जाते हैं, उसे त्रिवेणी कहते हैं। 

विशेष :- कई संत की भक्ति करने की आवश्यकता नहीं है। हम तो सीधे त्रिकुटी में ध्यान लगाते हैं।" यह कहना बच्चों जैसी बात है । त्रिकुटी पर जाने से पहले बहुत बैरियर हैं, उनको पार करके त्रिकुटी पर जाया जाएगा  ध्यान लगाने से त्रिकुटी में नहीं जाया जा सकता। उसके लिए सर्व कमलों से होकर जाना पड़ेगा ।
और पूर्ण संत की बताई भक्ति बिना यह खुलते ही नहीं ...
फिर मन्दिरों में कितने ही शीश झुका लो या तीर्थ ,व्रत , दान , पुण्य कर लो बिना तत्वदर्शी संत राह अपनाये सब निश्फल और बैगार के समान है । क्योंकी वो कमाई यही खर्च हो जायेगी । 
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( संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग से )

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