महाराज गरीबदास जी का प्राकाट्य सन् 1717 व विक्रमी संवत 1774 को वैसाख उतरते की पूर्णिमा के दिन ब्रह्ममहूर्त में श्री बलराम जी के घर माता रानी की कोख से गाँव छुड़ानी, जिला झज्जर, प्राँत हरियाणा में हुआ।
विक्रमी संवत 1784 में बन्दी छोड़ कबीर साहेब(कविर्देव) ने सतलोक से आकर महाराज जी को दर्शन व दीक्षा दी।
जब महाराज जी गऊ चराने के लिए कबलाना गाँव की तरफ लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर खेतों में गए हुए थे। जिसे नल्ला कहते हैं।
महाराज जी के छ: संतान थी - चार लड़के और दो लड़िकयाँ ।
आप जी ने विक्रमी संवत् 1835 (सन् 1778) भादवा मास(भाद्र) की शुक्ल पक्ष की द्वितिया (दूज) को सतलोक गवन किया।
गाँव-छुड़ानी में आप जी के शरीर का अंतिम संस्कार कर दिया गया। उस पर एक यादगार छतरी साहेब बनी हुई है।
इसके बाद उसी शरीर में प्रकट होकर |(वही आयु 61वर्ष की) सहारनपुर (उत्तर-प्रदेश) में 35 वर्ष रहे। वहाँ भी आपके नाम से यादगार छतरी साहेब बनाई हुई है।
चिलकाना रोड़ से बलिया सड़क निकलती है, उस पर आधा कि.मी. चलकर बाई तरफ यादगार बनी है।
पास में ही श्री लालदास जी महाराज का प्रसिद्ध बाड़ा है। जो संसार में प्रत्यक्ष प्रमाण है कि परमात्मा बिना माँ के भी शरीर में आ सकते हैं।
www.jagatgururampalji.org
https://youtu.be/DOJBMys_yVM (सत्संग लिंक)
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